सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश पर गुरुवार को कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें एक आरोपित को जमानत देने के लिए निचली अदालत के न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगा गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट के इस आदेश से जिला न्यायपालिका पर ‘चिंताजनक प्रभाव’ पड़ेगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने इसी के साथ याचिका का निस्तारण कर दिया।
पीठ ने इससे पहले आरोपित को जमानत प्रदान करते हुए हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें निचली अदालत के न्यायाधीश को स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह जमानत रद्द नहीं करेगी, जिसकी शिकायतकर्ता के वकील ने विभिन्न आधारों पर मांग की है। सीजेआई ने तोता राम नामक व्यक्ति को जमानत देने के लिए निचली अदालत के न्यायाधीश को हाई कोर्ट द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस की निंदा करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के इस तरह के आदेशों का जिला न्यायपालिका पर भयावह प्रभाव पड़ता है। हाई कोर्ट को ऐसा नहीं करना चाहिए।
पीठ ने घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि निचली अदालत ने बदली हुई परिस्थितियों की वजह से जमानत प्रदान करने का आदेश दिया था। इस मामले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका था और अन्य आरोपितों को जमानत मिल चुकी थी। आरोपित ने पिछले साल जून में कथित तौर पर खेत में जाते समय शिकायतकर्ता को रोककर उसकी पिटाई की थी।
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