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उपराष्ट्रपति : कभी देश का सोना गिरवी रखा गया था

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि एक समय था, जब हमारे उद्योग कठिन समय से गुजर रहे थे। किसी के पास कोई तरीका नहीं था कि इससे कैसे उबरा जाए। आज स्थिति एकदम अलग है। कभी किसी ने सोचा नहीं था कि हर घर में शौचालय, गैस कनेक्शन और नलों में जल होगा।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि एक वह समय था, जब आर्थिक साख को बचाने के लिए देश का सोना विदेश में गिरवी रखना पड़ा था। एक दशक पहले भारत को दुनिया की पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था। 2022 में गर्व का वह क्षण आया, जब भारत दुनिया की पांचवीं सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था बनकर विश्व फलक पर उभरा। हमने इस यात्रा में ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया। इसमें कोई संदेह नहीं कि हम 2030 तक जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था में रूप में उभरेंगे।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ गुरुवार को बड़ा लालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में 51वें राष्ट्रीय कंपनी सचिव सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि आए थे। उन्होंने कहा कि आप सभी काशी में प्रतिज्ञा करें कि भारत मां के लिए दिन-रात काम करेंगे। इस सम्मेलन में आपका विमर्श 2047 के भारत का भविष्य निर्धारित करेगा। उन्होंने राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए व्यावसायिकता के उच्चतम मानकों और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि मैं 15 लाल पहले काशी आया था। तब और अब की काशी में बहुत बदलाव आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी का कायापलट कर दिया है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सत्ता के गलियारे जो पहले दलालों से भरे रहते थे, नीतियों और निर्णयों को प्रभावित करते थे, देश को प्रभावित करते थे। आज वे वहीं दिखाई नहीं देते। अब शासन पारदर्शी और जवाबदेह है। इसने हमारी विकास यात्रा को गति दी है। भारत को इस बुलंदी पर सरकार की जनहितकारी नीतियों और देश को आगे ले जाने वाली दूरदर्शी सोच ने पहुंचाया है। जो मूलभूत परिवर्तन देश में हो रहे हैं, इस परिवर्तन में कंपनी सचिवों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ेगी और वे निभा रहे हैं। आप शासन के कस्टोडियन हैं।

हम भारतीय बहुत जल्दी सीखते हैं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि एक समय था, जब हमारे उद्योग कठिन समय से गुजर रहे थे। किसी के पास कोई तरीका नहीं था कि इससे कैसे उबरा जाए। आज स्थिति एकदम अलग है। कभी किसी ने सोचा नहीं था कि हर घर में शौचालय, गैस कनेक्शन और नलों में जल होगा। इतने बड़े देश में और इतनी बड़ी जनसंख्या को यह सब उपलब्ध कराना एक चुनौती से कम नहीं था, लेकिन सरकार ने उसे हासिल किया। उपराष्ट्रपति ने युवाओं की प्रतिभा की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम भारतीय जीनियस होते हैं और हम बहुत जल्दी सीखते हैं। हमें कोई सिखाए या ना सिखाए, हम चाहते हैं तो सीख लेते ही हैं। हर भारतीय में एक एकलव्य है।

प्रधानमंत्री की बात मानेंगे तो भविष्य उज्ज्वल होगा

उपराष्ट्रपति ने कहा कि ट्रेड बिजनेस व इंडस्ट्री एक साथ आए तो हमारे देश की अर्थव्यवस्था और तेजी से बढ़ेगी। अगर हम प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल के अवधारणा को अपनाएं तो हमारी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य उज्ज्वल होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने दुनिया की सबसे ज्यादा सुधारात्मक कर प्रणाली जीएसटी लागू की और उसके अभूतपूर्व फायदे आज देश देख रहा है। हम क्वांटम कंप्यूटिंग की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इससे बहुत बड़ी मात्रा में रोजगार सृजन होगा। उन्होंने कहा हम 6जी में लीड ले रहे हैं। ये बड़ी उपलब्धियां हैं और हमें इन पर गर्व करना चाहिए।

जो छह साल में हुआ, वह 47 वर्ष में नहीं हो सकता था

उपराष्ट्रपति ने बताया कि विश्व बैंक के अध्यक्ष ने कहा है कि भारत में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर मैं आश्चर्यचकित हूं। भारत ने जो छह साल में किया है, वह 47 वर्षों में भी नहीं किया जा सकता था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि 11 करोड़ किसान साल में तीन बार अपने खातों में सीधे पैसा प्राप्त कर रहे हैं। इसमें महत्वपूर्ण यह नहीं है कि सरकार उन्हें पैसा भेज रही है। महत्वपूर्ण यह है कि हमारा किसान उस पैसे को सीधे अपने खाते में लेने में समर्थ बना है। भारत आज तेजी से आगे बढ़ रहा है, इतना तेज़ी से पहले कभी नहीं बढ़ा था। यह विकास यात्रा रुकने वाली नहीं है। उन्होंने बताया कि हमारे देश की साख की प्रशंसा करते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रेसिडेंट ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे उपयुक्त निवेश करने वाले देश के रूप में उभरा है। कहा कि हम अमृत काल में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता के कारण यह अमृत काल अब गौरव काल बन चुका है। आप सभी ने भारत के लिए दुनिया में इतना सम्मान पहले कभी नहीं देखा होगा, जितना आज है।

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