बिलासपुर | संवाददाता: एक पेड़ मां के नाम पर बिलासपुर ज़िला प्रशासन ने सवा चार लाख पौधे लगाने की योजना बना ली लेकिन अब जा कर पता चला है कि वन विभाग के पास केवल 2.55 लाख पौधे ही हैं.
वन विभाग का कहना है कि वह 1 लाख 5 हज़ार पौधों की और व्यवस्था कर लेगा. यह पौधे उद्यानिकी विभाग से ख़रीदे जाएंगे.
लेकिन इतना होने के बाद भी 65 हज़ार पौधे कम पड़ेंगे.
असल में ज़िला प्रशासन ने महतारी वंदन योजना का लाभ लेने वाली महिलाओं से ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत सवा चार लाख पौधे लगाने की योजना बनाई है.
इसके लिए एक ही दिन 20 जुलाई को पौधे लगा कर रिकार्ड बनाने की तैयारी है.
लेकिन जब पौधा लगाने के इस अभियान की समीक्षा शुरु हुई तो पता चला कि ज़िले के वन विभाग के पास इतनी संख्या में पौधे ही नहीं है.
बिलासपुर ज़िले में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में पौधे लगाने की योजना बनी हो, ऐसा नहीं है.
करोड़ों रुपये खर्च कर के पौधे लगाने का रिकार्ड बनाने की बड़ी-बड़ी योजनाएं बनी. पौधों के नाम पर पैसे खर्च भी हुए लेकिन पौधों की हरियाली कागजों तक सिमट कर रह गई.
किसी कलेक्टर ने ज़िले को सीताफल ज़िला बनाने के लिए करोड़ों खर्च कर दिए तो किसी कलेक्टर ने इसे अमरुद ज़िला बनाने की योजना बना ली.
पिछले 24 सालों के आंकड़े निकाले जाएं तो पूरे बिलासपुर ज़िले में, क्षेत्रफल के लगभग बराबर के इलाके में पौधारोपण हुआ है.
लेकिन हालत ये है कि पिछले कुछ सालों में बिलासपुर ज़िले में हरियाली बढ़ने के बजाय घटती चली गई है.
छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के बाद आई भारतीय वन सर्वेक्षण की 2003 की पहली रिपोर्ट बताती है कि 8,270 वर्ग किलोमीटर वाले बिलासपुर में वनों का हिस्सा 2,504 वर्ग किलोमीटर था.
इसमें अति सघन वन का इलाका 222 वर्ग किलोमीटर, मध्यम सघन वन का क्षेत्रफल 1,682 वर्ग किलोमीटर और खुला वन 600 वर्ग किलोमीटर था. इसमें अचानकमार और पेंड्रा मरवाही जैसे इलाके भी शामिल थे.
दस साल बाद यानी 2013 में सघन वन का इलाका बढ़ कर 337 वर्ग किलोमीटर हो गया लेकिन मध्यम सघन वन का क्षेत्रफल घट कर 1,621 वर्ग किलोमीटर और खुला वन घट कर 531 वर्ग किलोमीटर रह गया था.
सभी तरह के वनों में बड़ी कमी आई थी और कुल वनों का क्षेत्रफल 2,489 वर्ग किलोमीटर रह गया था.
भारतीय वन सर्वेक्षण की 2021 की जो अंतिम रिपोर्ट उपलब्ध है, उसके अनुसार बिलासपुर ज़िले में सघन वन का इलाका बढ़ कर 399.22 वर्ग किलोमीटर हो गया लेकिन एक बार फिर मध्यम सघन वन का क्षेत्रफल घट कर 1,569.99 वर्ग किलोमीटर और खुला वन घट कर 491.59 वर्ग किलोमीटर रह गया था.
इस तरह कुल वनों का क्षेत्रफल घट कर 2,460.80 वर्ग किलोमीटर रह गया.
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