(रवि भोई)माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में पिछली बार की तरह इस बार भी कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होगा। चुनाव मैदान में आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, जोगी कांग्रेस, हमर राज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी समेत कई दल अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। पिछली बार जोगी कांग्रेस और बसपा मिलकर चुनाव लडे थे और दोनों पार्टियां सात सीटें जीती थीं। इस बार दोनों अलग -अलग चुनाव लड़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस बार जोगी कांग्रेस और बसपा ही कही-कहीं अपना प्रभाव दिखा सकती है , बाकी दलों का कोई मतलब नहीं रहेगा। राज्य में असल मुकाबला तो कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होना है। अब कौन बाजी जीतता है, यह तो तीन दिसंबर को ही पता चलेगा।
जुगाड़ वाले कांग्रेस प्रत्याशी
कहते हैं कांग्रेस के एक प्रत्याशी राज्य के नेताओं के न चाहते हुए अपनी मनपसंद सीट से टिकट पाने में कामयाब रहे। चर्चा है कि ये नेता छत्तीसगढ़ स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अजय माकन से जुगाड़ जमाकर अपने लिए टिकट की व्यवस्था कर ली। खबर है कि राज्य के बड़े नेता इस सीट से एक महिला को उम्मीदवार बनाना चाहते थे, लेकिन हाईकमान के कोटे से टिकट मिलने के कारण यहां के नेताओं की इच्छा पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद राज्य के नेताओं को महिला नेता को दूसरी सीट से उम्मीदवार बनाना पड़ा। अजय माकन के सहारे नैया पार करने वाले नेता की तरह सभी किस्मत वाले नहीं निकले। कुछ लोग तो टिकट के लिए दिल्ली में बैठ गए थे। सीट को पेंडिग में डाल भी दिया गया, लेकिन आखिरी समय निराशा ही हाथ लगी।
भारी पड़ गई समधी से दोस्ती
चर्चा है कि भाजपा के कद्दावर नेता गौरीशंकर अग्रवाल को अपने समधी रामगोपाल अग्रवाल से मधुरता भारी पड़ गई। कहा जा रहा है कि गौरीशंकर अग्रवाल का नाम रामगोपाल अग्रवाल से नहीं जुड़ता तो उन्हें भी कसडोल से टिकट मिल जाती। रामगोपाल अग्रवाल ईडी के निशाने पर आ गए हैं। कसडोल सीट को पेंडिंग में डाला गया था और आखिरी समय पर फैसला लिया गया, वहां से धनीराम धीवर को प्रत्याशी बनाया गया है। वैसे भी भाजपा ने चार अग्रवाल को टिकट दिया है। रायपुर दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल, बिलासपुर से अमर अग्रवाल, बसना से संपत अग्रवाल और अंबिकापुर से राजेश अग्रवाल उम्मीदवार बनाए गए हैं।
भूपेश बघेल ने चला ब्रम्हास्त्र
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सत्ता में आने पर फिर कर्जा माफ़ी की घोषणा कर भाजपा को मुसीबत में डाल दिया है। भाजपा के नेता अपने घोषणा पत्र में किसानों के लिए बहुत कुछ होने की बात तो कर रहे हैं,पर भूपेश बघेल के ब्रम्हास्त्र का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में धान और किसान ने कांग्रेस को निर्णायक बढ़त दिलाई थी। इस बार भी भाजपा के कुछ करने के पहले भूपेश बघेल ने किसानों के सामने पिटारा रख दिया है। 2018 में सत्ता में आने पर कांग्रेस ने तत्काल वादे पूरे किए थे, इस कारण किसानों को भूपेश बघेल की घोषणा पर भरोसा हो चला है। अब लोगों को भाजपा के घोषणा पत्र का इंतजार है।
किस्मत वाले प्रत्याशी
रायपुर उत्तर के कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप जुनेजा और बेलतरा के भाजपा प्रत्याशी सुशांत शुक्ला को किस्मत वाला प्रत्याशी माना जा रहा है। दोनों के नाम का फैसला आखिरी समय हुआ। कुलदीप जुनेजा को चुनाव की घोषणा के कुछ दिन ही पहले दोबारा हाउसिंग बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था, इस कारण माना जा रहा था कि कुलदीप का पत्ता साफ होने वाला है , लेकिन कहते हैं न दो कि लड़ाई में तीसरे को फायदा हो जाता है , ऐसा ही कुलदीप के साथ हुआ। दो ताकतवर लोग लड़े और कुलदीप के नाम पर मुहर लग गई। कहते हैं ऐसा कुछ बेलतरा में सुशांत के साथ हुआ। सुशांत को प्रवक्ता बना देने से मानकर चला जा रहा था कि सुशांत रेस से बाहर हो गए ,लेकिन आखिरी समय भाग्य ने साथ दिया और प्रत्याशी घोषित हो गए।
चुनाव मैदान में नहीं दिखेंगे अमित
चुनाव की घोषणा से पहले पाटन जाकर ताल ठोंकने वाले जोगी कांग्रेस के नेता अमित जोगी इस बार भी चुनाव मैदान में नजर नहीं आएंगे। बताते हैं पिछली बार की तरह अमित रणनीतिकार रहेंगे और चुनाव का संचालन करेंगे। जोगी कांग्रेस ने 60 से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। जोगी परिवार से डॉ रेणु जोगी और ऋचा जोगी मैदान में हैं। ऐसे में किसी को चुनावी रणनीति के लिए मैदान से बाहर रहना ही होगा। अब देखते हैं 2023 के विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस क्या करामात दिखाती है। वैसे अजीत जोगी के निधन के बाद अमित ने मरवाही से लड़ने की कोशिश की , पर जाति के पेंच में उलझ गए।
भाजपा और कांग्रेस के घोषणा पत्र का इंतजार
पहले चरण के मतदान में करीब 10 दिन बचे हैं , लेकिन कांग्रेस और भाजपा ने अब तक अपना -अपना घोषणापत्र जारी नहीं किया है। लोगों को अब दोनों प्रमुख दलों के घोषणा पत्र का इंतजार है। 2018 में कांग्रेस का घोषणा पत्र आने के बाद चुनावी माहौल बदला था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कर्जा माफ़ी की घोषणा कर दी है, ऐसे में यह मुद्दा तो उनके घोषणा पत्र में रहने वाला ही है। किसान न्याय योजना की राशि बढ़ने की भी चर्चा है। इसके अलावा तेंदूपत्ता का बोनस बढाकर वनवासियों को लुभाने की बात हो रही है। भाजपा भी किसान और वनवासियों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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