कानपुर में बुधवार को दशहरा पर हुई मूसलाधार बारिश ने त्योहार का मजा किरकिरा कर दिया। दशानन इंद्रदेव के कोप का भाजन बन गए। कहीं रावण का हाथ टूट गया तो कहीं पैर निकल गया। कहीं सिर बह गया तो कहीं कमर झुक गई। दो घंटे तक झमाझम पानी गिरने से ज्यादातर स्थानों पर रावण के पुतले धराशायी हो गए। रामलीला पंडाल जलमग्न हो गए और चारों ओर कीचड़ का अंबार लग गया। ऐतिहासिक परेड ग्राउंड पर खड़ा रावण का पुतला दहन से पहले ही छिन्न-भिन्न हो गया।
पुतले का एक हाथ पूरी तरह से धुल गया। शास्त्रीनगर सेंटर पार्क में पुतला भीग गया। मैदान में मंच तक पानी भर गया। चंद्रिका देवी मंदिर रायपुरवा रामलीला मैदान में पुतले को बैनर व पॉलीथिन से ढककर किसी तरह बचाया गया। सुबह से ही आयोजक चिंतित दिखे। गोविंद नगर में रावण का पुतला भीगकर बर्बाद हो गया। कई स्थानों पर पॉलीथिन से पुतलों को ढका गया। वहीं, मोतीझील में पुतला क्षतिग्रस्त हो जाने के बावजूद कमेटी का कहना है कि दूसरे पुतले की व्यवस्था करके रात को रावण दहन हर हाल में करेंगे।