एसीपी तेज बहादुर सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में दोनों भाइयों के रेलवे पटरी पार करते समय हादसे का शिकार होने की बात सामने आई है। जबकि, घटना स्थल के आसपास रहने वाले ग्रामीणों में चर्चा रही कि दोनों पटरी पर बैठे मोबाइल पर मैच देख रहे थे।
कानपुर में सचेंडी थाना क्षेत्र के पांडेयपुर गांव में शुक्रवार की शाम रेलवे पटरी पर बैठकर मोबाइल में क्रिकेट मैच देख रहे दो मौसेरे भाइयों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। पटरी पर पड़े शवों को देखकर परिवारों में कोहराम मच गया। दोनों की मौत से परिवारों में दिवाली की खुशियां मातम में बदल गईं।
सचेंडी थाना क्षेत्र के बिनौर ग्राम पंचायत के लालशाह का पुरवा गांव निवासी बिंदा प्रसाद भूरा सिंह हरियाणा में प्राइवेट नौकरी करते हैं। उनकी पत्नी, दो बेटियों व इकलौते बेटे आशीष कुमार (18) के साथ गांव में रहती थीं। आशीष के मौसा राजेश भी अपने बेटे सुभाष (20) व अन्य परिजनों समेत इसी गांव में रहते थे।
बिंदा प्रसाद व राजेश के खेत गांव के गुजरी रेलवे लाइन के दूसरी तरफ हैं। शुक्रवार की शाम करीब 5:30 बजे आशीष और सुभाष खेतपर जाने की बात बताकर निकले थे। लौटते वक्त दोनों घर से करीब 500 मीटर दूर कानपुर-झांसी रेलवे लाइन पर बैठ गए।
इयरफोन की वजह से नहीं मिल सकी आहट
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोनों इयरफोन लगाकर मोबाइल फोन पर अफगानिस्तान व साउथ अफ्रीका के बीच चल रहा मैच देख रहे थे। तभी झांसी की तरफ से रेलवे की मेडिकल रिलीफ ट्रेन के आ जाने से दोनों की ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो गई। इयरफोन की वजह से दोनों को ट्रेन के आने की आहट तक नहीं मिल सकी।
रात भर परिजनों की रोने की आवाजें गूंजती रहीं
एक साथ दो भाइयों की मौत की खबर मिलते ही परिजनों के साथ ही गांव के लोग भी घटनास्थल पर पहुंच गए। त्योहार के एक दिन पहले एक ही गांव के दोनों परिवारों की खुशियां छिनने से पूरे गांव में मातम छा गया। रात भर रह-रह कर परिजनों की रोने की आवाजें गूंजती रहीं।
पुलिस ने जांच के बाद पुष्टि करने की बात कही
एसीपी तेज बहादुर सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में दोनों भाइयों के रेलवे पटरी पार करते समय हादसे का शिकार होने की बात सामने आई है। जबकि, घटना स्थल के आसपास रहने वाले ग्रामीणों में चर्चा रही कि दोनों पटरी पर बैठे मोबाइल पर मैच देख रहे थे। पुलिस ने जांच के बाद इसकी पुष्टि करने की बात कही।
दोनों सेना में भर्ती होने का देख रहे थे सपना
मृतक आशीष दो बहनों पलक और पायल के बीच अकेला भाई था। आशीष गांव में रहकर सेना में भर्ती होने का सपना देख रहा था। वह रनियां में प्राइवेट नौकरी करने के साथ ही खेती की भी देखरेख करता था। वहीं, सुभाष भी सेना में भर्ती होकर अपने माता पिता का सिर गर्व से ऊंचा करना चाहता था। दोनों भर्ती होने के लिए साथ ही दौड़ने जाते थे। राजेश के दो बेटों में सुभाष छोटा था। उनकी एक बेटी भी है।
भाई नहीं अच्छे दोस्त भी थे आशीष व सुभाष
ग्रामीणों ने बताया कि आशीष व सुभाष मौसेरे भाई हीं नहीं अच्छे दोस्त भी थे। दोनों अक्सर साथ में ही कहीं भी आते जाते थे। शुक्रवार को भी दोनों साथ में ही गए थे। उनकी एक साथ मौत से कई घरों में चूल्हे तक नहीं जले। वहीं, परिवार वाले यह मानने को भी तैयार नहीं कि उनके बच्चे इयरफोन लगाकर पटरी पर बैठकर मैच देख रहे थे। एसीपी तेज बहादुर सिंह ने बताया शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। आगे की कार्रवाई की जा रही है।
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