रायपुर | संवाददाता: कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को रायपुर कोर्ट में पेश करने का मामला फिर से खटाई में पड़ सकता है. उसे सोमवार यानी 22 जुलाई को रायपुर कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन झारखंड की गिरिडीह जेल से अमन साहू को लाने से पहले ही रविवार को उसे चाईबासा जेल शिफ़्ट कर दिया गया.
इससे पहले 10 जून को प्रोडक्शन वारंट लेकर जब छत्तीसगढ़ पुलिस गढ़वा जेल पहुंची थी तो वहां पता चला कि उसे दूसरी जेल में शिफ़्ट कर दिया गया है. इसके बाद पुलिस खाली हाथ लौट आई.
इसके बाद 28 जून को रायपुर पुलिस फिर से प्रोडक्शन वारंट ले कर गिरिडीह जेल पहुंची तो वहां झारखंड में बड़ी संख्या में मामले दर्ज होने का हवाला देकर छत्तीसगढ़ पुलिस को कहा गया कि वह वीडियो कांफ्रेंस से आवश्यक पूछताछ कर ले.
इसके बाद 12 जुलाई को उसे फिर से गिरिडीह जेल से लाने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया गया. लेकिन अब उसे गिरिडीह से चाईबासा जेल शिफ़्ट कर दिया गया है.
इधर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कारोबारी पर गोली चलाने की घटना में शामिल अमन साहू गैंग के छह लोगों को झारखंड और हरियाणा से गिरफ़्तार किया गया है.
रायपुर पुलिस ने आशंका जताई है कि हरियाणा से गिरफ़्तार किये गये अमनदीप वाल्मीकि ने ही इस पूरी घटना की रुपरेखा बनाई और अंजाम तक पहुंचाने के लिए शूटर्स को वाहन और सिम कार्ड उपलब्ध करवाया था.
इसके अलावा जिन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, उनमें झारखंड का संदीप यादव, शाहिद अंसारी, शाहिद अंसारी और हरियाणा का रवि कुमार सेन, लक्ष्मण दास बाजीगर शामिल हैं.
इस बीच इस मामले के शीर्ष गैंगस्टर अमन साहू को रविवार को गिरिडीह से चाईबासा जेल शिफ़्ट कर दिया गया है. उसके कुछ गुर्गों को पखवाड़े भर पहले ही में गिरिडीह की जेल अधीक्षक हिमानी प्रिया पर हमले की साजिश रचने के आरोप में पकड़ा गया था.
27 साल के अमन साहू को पिछले ढ़ाई सालों में 9 बार अलग-अलग जेलों में शिफ़्ट किया जा चुका है.
पिछले महीने 20 जून को ही अमन साहू को मेदिनीनगर जेल से गिरिडीह शिफ्ट किया गया था.
इसके ठीक एक महीने बाद रविवार को तड़के कड़ी सुरक्षा के बीच अमन साहू को चाईबासा जेल शिफ्ट कर दिया गया.
माना जा रहा है कि जेल आईजी से शिकायत के बाद अमन साहू को चाईबासा भेजा गया.
पिछले पखवाड़े ही गैंगस्टर अमन साहू गिरोह के लोगों ने गिरिडीह जेल की अधीक्षक हिमानी प्रिया और उनके देवघर में रह रहे परिजनों पर हमले की साजिश रची थी. इस मामले में चार लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया था.
इससे पहले पिछले महीने गिरिडीह की जेल अधीक्षक को मयंक सिंह ऊर्फ सुनील कुमार मीणा के नाम से वाट्सऐप पर धमकी दी गई थी. इसमें कहा गया था कि अमन साहू को जेल में मोबाइल, गांजा और अन्य सुविधाएं नहीं मिली तो जेल अधीक्षकऔर उनके परिवार को मार दिया जाएगा.
गिरिडीह जेल की अधीक्षक हिमानी प्रिया को पहला मैसेज 1(781)413-4285 नंबर से 28 जून को सुबह 6:26 बजे आया था. इसके बाद उसी रात करीब 8:15 बजे 1(401)422-6048 नंबर से वॉट्सएप पर कॉल कर के धमकी दी गई थी.
इसके बाद झारखंड एटीएस यानी आतंकवाद निरोधक दस्ता ने हिमानी प्रिया पर हमले की योजना बनाते अमन साहू गैंग के जुड़े चार लोगों को गिरफ़्तार किया था. इनमें रांची निवासी रौशन कुमार सिंह व शिवशंकर कुमार सिंह , पतरातू निवासी अविनाश कुमार उर्फ घल्टू और साहिबगंज निवासी अजय कुमार ठाकुर शामिल हैं.
पुलिस का दावा है कि इन लोगों ने गैंग का दबदबा बढ़ाने के लिए, जेल अधीक्षक को धमकी दी थी. इन लोगों को भरोसा था कि ऐसा करने से उन्हें वसूली में सुविधा होगी.
इन चारों की गिरफ्तारी के बाद एक विज्ञप्ति में मयंक सिंह ने कहा मैंने गिरिडीह जेल सुपरिटेंडेंट और जेलर से बहुत ही अच्छे से बात करने की कोशिश की. उनलोगों ने मेरे अमन साहू को बदनाम और झूठे केस में फंसाने का प्रयास किया.
मयंक ने लिखा-मुझे यह भी जानकारी मिली है कि अमन साहू को गिरिडीह जेल में जेल मैनुअल के हिसाब से नहीं रखा जाता था. उन्हें जेल में बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया जाता है.
मयंक सिंह ने कहा कि अमन साहू को परेशान और प्रताड़ित करने वाले को दंडित करूंगा.
अपनी विज्ञप्ति में मयंक सिंह ने कहा कि अमन साहू सिर्फ मेरे बॉस ही नहीं मेरे लिए भगवान से बढ़कर हैं.
राजस्थान के अनूपगढ़ जिले की नई मंडी थाना क्षेत्र के जीडीए पुरानी मंडी घड़साना के रहने वाले सुनील कुमार मीणा ऊर्फ मयंक सिंह के बारे में कहा जाता है कि अमन साहू के लिए फ़ोन कर के वसूली का कारोबार वही चलाता रहा है.
एटीएस के कुछ अधिकारियों की मानें तो वह देश से बाहर रह कर यह धंधा कर रहा है, वहीं पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि वह देश के ही किसी हिस्से में छुपा हुआ हो सकता है.
हालांकि सुनील कुमार मीणा के ख़िलाफ़ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है. इसके अलावा सुनील की सपंत्ति की कुर्की की भी पुलिस तैयारी कर रही है.
लेकिन उसके फ़ोन कॉल, उसके सोशल मीडिया के पोस्ट बता रहे हैं कि उसके हौसले बुलंद हैं.
झारखंड में रंगदारी टैक्स वसूलने के लिए ए के 47 के साथ चलने वाला, बेहद पतला-दुबला, 12वीं पास, मोबाइल दुकान चलाने वाला अमन साहू 17 साल की उम्र में ही रंगदारी वसूलने लगा था. उसके ख़िलाफ़ 50 से अधिक मामले दर्ज हैं.
अमन साहू को 2019 में गिरफ्तार किया गया था. लेकिन 29 सितंबर 2019 को वह हिरासत से फरार हो गया. लगभग तीन साल बाद, पुलिस ने उसे जुलाई 2022 में दोबारा गिरफ्तार किया. तब से वह जेल में है.
इधर एक के बाद एक शूटरों की गिरफ़्तारी, एटीएस की कार्रवाई और गैंग में कथित फूट के बाद अमन साहू अब एटीएस के शिकंजे के कारण डरा हुआ है.
झारखंड के ही धनबाद जेल में बंद गैंगेस्टर अमन सिंह भी किसी ज़माने में इसी तरह, जेल प्रशासन के साथ मिल कर वसूली का साम्राज्य चलाता था.
पिछले साल 3 दिसंबर को उसे जेल के भीतर ही गोलियों से भून दिया गया. अमन सिंह ने अधिकारियों को पत्र लिख कर अपनी हत्या की आशंका जताई थी लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
अमन साहू भी डरा हुआ है कि कहीं उसका हश्र भी अमन सिंह की तरह का न हो.
यही कारण है कि उसने झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर अपनी हत्या की आशंका जताई है.
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