रायपुर | संवाददाता : देश में छत्तीसगढ़ के किसान परिवारों की हालत औसत आमदनी के मामले में बेहद ख़राब है. इस महीने संसद में पेश आंकड़ों की मानें तो कृषि परिवारों की औसत मासिक आय के मामले में छत्तीसगढ़ 28 राज्यों में 21वें नंबर पर है.
धान की खेती पर निर्भर छत्तीसगढ़ के किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद कमज़ोर रही है. लेकिन 2018 के बाद धान की क़ीमत बढ़ाये जाने और इस बाद 2024 में भाजपा सरकार द्वारा धान के लिए प्रति क्विंटल 3100 रुपये देने के फ़ैसले का असर किसानों की अर्थव्यवस्था पर व्यापक रुप से हुआ है.
हालांकि अभी इस बात के आंकड़े सामने नहीं आये हैं कि मूलतः सीमांत किसान वाले राज्य में धान की बढ़ी हुई क़ीमत का लाभ केवल बड़े किसानों को हुआ है, या इसका लाभ छोटे और सीमांत किसानों को भी मिला है.
बहरहाल इस महीने लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार देश में किसान परिवारों की सर्वाधिक आय मेघालय में है.
मेघालय में प्रत्येक किसान परिवार की औसत मासिक आय 29,348 रुपये है.
इसी तरह पंजाब के किसान परिवार औसत आय के मामले में दूसरे नंबर पर हैं. यहां किसान परिवारों की औसत मासिक आय 26,701 रुपये है.
22,841 रुपये की आय के साथ हरियाणा के किसान परिवार तीसरे नंबर पर हैं.
सबसे बुरी स्थिति झारखंड की है, जहां किसान परिवारों की महीने की औसत आय महज 4,895 रुपये है.
देश के 28 राज्यों में किसान परिवारों की हर महीने की औसत आय के मामले में छत्तीसगढ़ 21वें नंबर पर है.
छत्तीसगढ़ के किसान परिवारों को हर महीने केवल 9,677 रुपये मिलते हैं. यह देश के शीर्ष राज्य मेघायल की तुलना में एक तिहाई से भी कम है.
तेलंगाना में किसान परिवारों की आय भी कम है. यहां किसान परिवारों को महीने के महज 9,403 रुपये मिलते हैं.
पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 8,339 है.
कम औसत आय वाले राज्यों में बिहार के किसान परिवारों को हर महीने 7,542 रुपये मिलते हैं.
पश्चिम बंगाल में किसान परिवारों को 6,762 रुपये मिलते हैं.
ओड़िशा में यह आंकड़ा 5,112 है.
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