रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में हर दिन 72 लोगों को कुत्ते काट रहे हैं लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी कुत्तों के काटने के मामले को लेकर राज्य सरकार कोई मुआवजा नीति नहीं बना पाई है.
राजधानी रायपुर में 12 जुलाई को एक पिटबुल डॉग ने डिलीवरी बॉय पर हमला कर दिया था. लेकिन इस मामले में कोई सख़्त कार्रवाई नहीं हो सकी.
यहां तक कि पीड़ित को मुआवजा दिये जाने को लेकर भी कोई निर्णय नहीं हो सका.
पिछले साल 28 अप्रैल को, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कुत्ते द्वारा काटे जाने के मामले में, सीधे तौर पर राज्य सरकार को ज़िम्मेवार माना था. न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और एन के चंद्रवंशी की पीठ ने मुआवजे से संबंधित प्रकरणों में स्पष्ट निर्देश दिए थे.
हाईकोर्ट ने कुत्तों के काटे जाने पर मुआवजे से संबंधित आदेश के हेड नोट्स में कहा-जब किसी व्यक्ति की मृत्यु आवारा कुत्ते के काटने के कारण रेबीज के संक्रमण के फलस्वरूप होती है तब यह राज्य के ‘कठोर दायित्व’ अथवा ‘त्रुटि के बिना दायित्व’ सिद्धांत की परिधि में आएगा एवं राज्य की नीति के अनुसार प्रतिकर (मुआवजा) प्रदान करने हेतु इसे शिकारी-वन्यजीवों द्वारा किए गए हमले की परिधि में सम्मिलित किया जाना चाहिए.
हाईकोर्ट ने अपने हेड नोट्स में कहा था-आवारा कुत्तों के काटने के गंभीर परिणामों के संबंध में लोगों को शिक्षित व जागरुक करने के लिए एक व्यापक प्रसार अभियान चलाने तथा एंटी-रेबीज टीकाकरण कार्यक्रम के संचालन के लिए तत्काल ठोस कदम उठाए जाने हेतु राज्य बाध्य है.
राज्य के अलग-अलग इलाकों में कुत्तों के काटने के मामले तो हर दिन आते हैं, इस साल कुत्तों से काटने से मौत के भी कई मामले सामने आए हैं.
3 फरवरी को रायगढ़ के घरघोड़ा के ग्राम बरौद के रहने वाले सात साल के सिद्धांत मांझी, पिता सियाराम मांझी को कुत्तों ने काट डाला था.
सिद्धांत की मेडिकल कालेज़ अस्पताल में 16 फरवरी को मौत हो गई.
3 जून को धमतरी के मुजगहन के गायत्री पारा में कुत्तों के काटने से पांच साल की एक बच्ची की मौत हो गई. पांच साल की यह बच्ची गली में खेल रही थी. उसी समय आवारा कुत्तों ने उस पर हमला बोल दिया.
बच्ची को आनन-फानन में रायपुर ले जाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.
इसी तरह 18 जून को सुकमा में कुत्ते के काटने से एक महिला की मौत हो गई. दोरनापाल के कोरापाट गांव की रहने वाली 47 साल की मांडवी गंगे पति पोज्जा को मई के महीने में कुत्ते ने काटा था. उसका गांव में ही इलाज चलता रहा लेकिन जब तबीयत बिगड़ी तो उसे सुकमा अस्पताल ले जाया गया.
उसकी गंभीर हालत को देखते हुए महिला को जगदलपुर के मेकॉज रवाना किया गया लेकिन महिला की रास्ते में ही मौत हो गई.
छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ सालों में कुत्तों के हमलों में कमी आई है.
2018 में कुत्तों के काटने के 39,515 मामले आए थे. 2019 में यह संख्या बढ़ कर 50,529 हो गई.
2020 में छत्तीसगढ़ में 45,760 लोगों को कुत्तों ने काटा था. लेकिन 2021 में यह आंकड़ा घट कर 20147 रह गया.
2022 में केवल आईएचआईपी पोर्टल के जो आंकड़े उपलब्ध हैं, उसके अनुसार राज्य में 21,020 लोगों को कुत्तों ने काटा था.
इसी तरह 2023 के केवल आईएचआईपी पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 26,286 लोगों को कुत्तों ने काटा था. इस तरह देखें तो पिछले साल कुत्तों द्वारा काटने के 72 मामले हर दिन सामने आए.
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