जाति जनगणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने को लेकर तेज हुई राजनीति के बीच भाजपा दो मोर्चों पर तैयारी में जुट गई है। एक तरफ जहां क्षेत्रीय दलों के सामाजिक न्याय पर भारी परिवारवाद का उदाहरण पेश किया जाएगा वहीं एकबारगी मुखर हुई कांग्रेस को इतिहास के पन्नों के सहारे कठघरे में खड़ा किया जाएगा। तथ्यों के साथ बताया जाएगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर अब तक कांग्रेस ने जाति जनगणना का विरोध ही किया है। इंदिरा गांधी ने भी मंडल कमीशन की रिपोर्ट दबाकर रखी थी।
अब केवल वोट की खातिर मुद्दा उछाला जा रहा है। न्याय पहुंचाने की मंशा नहीं है। कुछ महीने पहले श्रीरामचरितमानस को लेकर कुछ क्षेत्रीय दलों ने विवाद खड़ा किया था। माना जा रहा था कि दलितों में भाजपा के बढ़े प्रभाव को सीमित करने के लिहाज से ही वह मुद्दा उछाला गया था। दलित और ओबीसी वर्ग के कारण ही भाजपा लगातार दो कार्यकाल से स्पष्ट बहुमत पा रही है।
यही कारण है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के स्तर से जाति जनगणना की बात करते हुए आरक्षण की सीमा भी तोड़ने की बात कही गई है, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई है। सूत्रों के अनुसार भाजपा ने क्रोनोलाजी तैयार की है। इसे जनता को दिखाकर कहा जाएगा कि कांग्रेस पारंपरिक रूप से इसका विरोध करती रही है।
उसके अनुसार 1951 में जब अनौपचारिक रूप से जाति जनगणना की बात उठी थी तो बतौर प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने उसका विरोध किया था। बाद में 27 जून 1961 को मुख्यमंत्रियों के लिखे पत्र में उन्होंने आरक्षण को लेकर राजनीति पर चिंता जताई थी और आगाह किया था कि देश को नंबर वन बनना है तो प्रतिभा को आगे बढ़ाना होगा। भाजपा द्वारा तैयार इस क्रोनोलाजी में यह भी है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को दबाए रखा था।
उनकी मृत्यु के बाद राजीव सरकार के दौरान भी उस रिपोर्ट पर अमल नहीं हुआ। जब वीपी सिंह ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने का फैसला लिया तो बतौर नेता विपक्ष राजीव गांधी ने इसे देश को बांटने का प्रयास बताया और कहा था कि यह प्रयास अंग्रेजों के प्रयास से अलग नहीं है। नोट के अनुसार बतौर गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने 2010 में तत्कालीन कानून मंत्री वीरप्पा मोइली को नेहरू के सोच के बारे में बताया था और जातिगत जनगणना की मांग के गंभीर परिणाम के प्रति चेताया था।
राज्यसभा में जदयू के सदस्य अली अनवर के एक सवाल के जवाब में तत्कालीन मंत्री अजय माकन ने कांग्रेस सरकार का रुख स्पष्ट किया और जाति जनगणना की मांग को खारिज किया था। तत्कालीन मंत्री आनंद शर्मा, पीके बंसल ने भी यही भाव जताया था। उस वक्त सरकार में शामिल राजद जैसे दलों की ओर से इसे लेकर दबाव था।
कर्नाटक चुनाव को देखते हुए भाजपा ने यह बिंदु भी अपने नोट में जोड़ लिया है कि 2018 तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने तीन साल पहले आई जाति जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की थी। यह बताने की कोशिश करेगी कि कांग्रेस ने हताशा में यह मुद्दा उछाला है ताकि इसी आधार पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया जाए।
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