नई दिल्ली | डेस्क: कोलकाता में डॉक्टर के रेप और मर्डर केस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अब सिर्फ अस्पताल में बलात्कार के एक विशेष मामले से संबंधित मामला नहीं है, बल्कि यह मामला पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे से संबंधित है.
सुप्रीम कोर्ट आज इस मामले की स्वतः संज्ञान के बाद सुनवाई कर रहा था.
गौरतलब है कि कोलकाता हाईकोर्ट ने नेता प्रतिपक्ष की याचिका के बाद इस मामले को पश्चिम बंगाल पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया था.
मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि वे सभी इंटर्न, रेजिडेंट डॉक्टर और सबसे महत्वपूर्ण रूप से महिला डॉक्टर हैं. अधिकांश युवा डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं. हमें काम की सुरक्षित स्थिति सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले, हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि पीड़िता का नाम मीडिया में आ गया है, तस्वीरें और वीडियो मीडिया में आ गए हैं, यह बेहद चिंताजनक है.
अदालत ने कहा कि यदि महिलाएं काम पर नहीं जा पातीं और उनके लिए परिस्थितियां सुरक्षित नहीं हैं, तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं.
इससे पहले अदालत ने अस्पताल प्रबंधन पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? एफआईआर दर्ज नहीं की गई; शव माता-पिता को देर से सौंपा गया; पुलिस क्या कर रही है? एक गंभीर अपराध हुआ है… तोड़फोड़ करने वालों को अस्पताल में घुसने दिया जा रहा है?
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