रायपुर| संवाददाताः छत्तीसगढ़ में 14 नवंबर से धान खरीदी की शुरूआत होने वाली है, उससे पहले ही छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. अपनी तीन सूत्री मांग को लेकर इससे पहले भी दो बार आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन संघ का कहना है कि मांगे पूरी नहीं होने पर अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.
इस बार कर्मचारी संभाग स्तर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इस आंदोलन को प्रदेश की 2058 समितियों में कार्यरत लगभग 13000 कर्मचारियों ने अपना समर्थन दिया है. इन कर्मचारियों का धरना आगे भी जारी रहा तो धान खरीदी प्रभावित हो सकती है.
इन कर्मचारियों ने इससे पहले भी अक्टूबर महीने में 18 से 20 अक्टूबर तक आंदोलन किया था.उसके बाद 21 और 22 अक्टूबर को दो दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर जिला मुख्यालय में धरना प्रदर्शन किया था. हर बार मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, खाद्य मंत्री और सहकारिता मंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था. इसके बाद भी उनकी मांग पूरी नहीं हुई.
संघ का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती उनका यह अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा. अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी तो धान खरीदी का बहिष्कार भी कर सकते हैं.
उनका कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार की तर्ज पर छग सरकार भी प्रदेश के 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारियों को वेतनमान और अन्य सुविधाओं का लाभ दें.
सहकारी समिति की पहली मांग है कि मध्य प्रदेश सरकार की भांति छत्तीसगढ़ में भी तीन लाख रुपए प्रति वर्ष प्रबंधकीय अनुदान राशि दी जाए.
दूसरी मांग है सेवा नियम 2018 के अंशिक संशोधन कर पुनरीक्षित वेतनमान लागू किया जाए.
तीसरी मांग है समर्थन मूल्य पर धान खरीदी गत वर्ष 2023-2024 में धान परिवहन के पश्चात आगामी वर्षों में धान में सुखत दिया जाए. साथ ही समस्त कमीशन में चार गुना बढ़ोतरी किया जाए. सुरक्षा व्यय, कमीशन, खाद, बीज, उपभोक्ता फसल बीमा, आदि को 2 गुणा बढ़ा कर राशन वितरण पर 500 किलो क्षतिपूर्ति और 5000 रुपए दी जाए.
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