उत्तर प्रदेश : वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग को वाराणसी जिला कोर्ट ने ठुकरा दिया है। जिला जज वाराणसी ए.के विश्वेश ने कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। बता दे की हिन्दू पक्ष के द्वारा शिवलिंग मिलने के बाद कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था की शिवलिंग को बिना क्षति पहुंचाए कार्बन डेटिंग करवाई की जाए,जिसे आज खारिजकर दिया गया है।
बता दे की 16 मई को ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग के मुद्दे पर चार वादी महिलाओं ने बिना क्षति पहुंचाए जांच की मांग की है। इसके साथ ही उसके आस-पास की कार्बन डेटिंग की मांग की है। वहीं इस मामले में जवाब देने के लिए अंजुमन इंतजमिया मस्जिद कमेटी ने समय मांगा था। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि कार्बन डेटिंग नहीं की जानी चाहिए। यह शिवलिंग नहीं एक फव्वारा है। इसका पता नहीं लगाया जा सकता है।
वहीं कोर्ट ने दोनों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि 14 अक्टूबर को अगली सुनवाई की जाएगी। बता दें कि बीते 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने समेत अन्य ने कोर्ट में शिवलिंग की आकृति की एएसआई विशेषज्ञ से कार्बन डेटिंग कराने का अनुरोध किया था।
हिंदू और मुस्लिम पक्ष का दावा?
इस मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए। उनका ये भी कहना है कि सर्वे के दौरान वजू खाने में शिवलिंग मिला था, इसलिए ज्ञानवापी में मुसलमानों की एंट्री बैन हो और हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिले। वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि हिंदू पक्ष की सारी बातें बेबुनियाद है। उनका दावा है कि ज्ञानवापी में जिसको शिवलिंग कहा जा रहा है वह फव्वारा है। बता दें कि साल 1991 में पहली बार मुकदमा दायर कर श्रृंगार गौरी के पूजा की इजाजत मांगी गई थी। फिर साल 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया था।