बिलासपुर— पटवारी हल्का सेन्दरी पूर्व पटवारी और वर्तमान सचिव ने फौती फर्जीवाड़ा का बडा खेल किया है। सचिव और पटवारी ने मिलकर जमीन के गुमनाम पार्टनर का ना केवल फौती उठाया। बल्कि साजिश के तहत ग्राम पंचायत से दोनों ने फर्जीवाडा कर फौत का आदेश भी पारित करवा लिया है। मामला अब नामांतरण पर आकर रूका है। जानकारी मिल रही है कि पूरे प्रकरण में रसूखदारों की इन्ट्री हो गयी है।
हासिल दस्तावेज के अनुसार सेन्दरी में किसी समय दो पार्टनर ने मिलकर जमीन खरीदा। इसके बाद दोनों ने जमीन को लावारिश हालत में छोड़ दिया। इसी बीच तत्कालीन पटवारी की नजर लावारिश जमीन पर पड़ गयी। पटवारी ने छानबीन के बाद जमीन मालिक का पता लगाया।
छानबीन के दौरान तत्कालीन पटवारी त्रिपाठी ने जमीन के एक को खोज निकाला। पार्टनर ने पटवारी सहयोग से 11 अक्टूुबर 2023 में शपथ पत्र बनवाया। शपथ पत्र में बताया गया कि गुमनाम पार्टनर की मौत 21 मई साल 2020 में हो गया है। यानी पूरे तीन साल बाद पार्टनर की मौत का शपथ पत्र बनवाया गया।
सेन्दरी तत्कालीन पटवारी के निर्देश पर ग्राम सचिव ने सरपंच के साथ मिलकर पंचायत बैठक बुलाया। बैठक में जमीन के दूसरे पार्टनर को मृत घोषित किया। यद्यपि इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि हम ना तो तथाकथित जमीन के गुम पार्टनर को जानते हैं और ना ही वर्तमान जमीन मालिक के बारे में ही किसी प्रकार की जानकारी है। बावजूद इसके पटवारी और सचिव ने सरपंच को विश्वास में लेकर जमीन के गायब पार्टनर का फौत प्रस्ताव पारित कराया। प्रस्ताव पर ग्राम सचिव साहू ने हस्ताक्षर भी किया। मााले में जिला पंचायत सीईओ से सम्पर्क का प्रयास किया गया। लेकिन सीजीवाल संबाददाता की बात नहीं हुई।
पटवारी और सचिव ने तोड़तोड़ कर गुमनाम कृष्णलाल गोस्वामी का डेथ सर्टिफेकट पहले ही बनवा लिया। इसी के आधार पर ग्राम पंचायत ने फौती प्रस्ताव पारित किया। इस बीच पटवारी त्रिपाठी ने दिल्ली के एक अखबार में जमीन का ईश्तहार प्रकाशित करवाया। और दावा आपत्ती मंगवाया। निर्धारित तारीख के बाद तत्कालीन पटवारी ने नामांतरण और रिकार्ड दुरूस्त करने को लेकर ना केवल ईश्तहार का कतरन तहसील प्रशासन के सामने पेश किया। बल्कि प्रतिवेदन के रूप में पूरा अखबार ही पोर्टल में डाल दिया।
जमीन बिलासपुर में और ईश्तहार दिल्ली के अखबार में प्रकाशित होने की जानकारी के बाद तहसील प्रशासन के कान खड़े हो गये। दाल मे काला देखते ही तहसील प्रशासन ने ना केवल नांमतरण पर रोक लगाया। बल्कि दस्तावेज पेश करने को भी कहा। बहरहाल मामला अब खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। प्रकरण को लेकर जब सीजीवाल की टीम ने पटवारी और सचिव से सम्पर्क का प्रयास किया तो दोनो बचते नजर आए। बताते चलें कि दोनो के फर्जीवाड़ा वाले कागज सीजी वाल के पास हैं। बहरहाल मामले में ना तो तहसील प्रशासन को कुछ बोल रहा है और ना ही आलाधिकारी कुछ बोलने को तैयार है। यद्यपि राजस्व मंत्री ने इस पूरे प्रकरण को दस्तावेज के साथ पेश करने का आदेश दिया है।