मणिपुर में बीते दिनों हुई हिंसा के बाद भी हालात सामान्य नहीं हो रहे हैं। ताजा मामला मणिपुर के काकचिंग जिले के सुगनू में सामने आया है। जहां गुस्साए ग्रामीणों ने एक कैंप में आग लगा दी।
बताया जा रहा है कि इस कैंप में यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट (UKLF) के उग्रवादी सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ठहरे हुए थे। पुलिस ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि मणिपुर
के काकचिंग जिले के सुगनू से कांग्रेस विधायक रंजीत के आवास सहित कम से कम 100 घरों को भी आग लगा दी गई है।
पुलिस ने बताया कि पिछले दो दिनों से उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच गोलीबारी हुई है। आगजनी की घटनाओं से पहले रविवार को भारतीय रिजर्व बटालियन और सीमा सुरक्षा बल सहित राज्य पुलिस ने उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चलाया था, जिसके बाद सभी उग्रवादी अपने शिविर से भाग गए।
हालांकि, बाद में ग्रामीणों ने रविवार रात शिविर को आग के हवाले कर दिया, जिसमें नए भर्ती हुए कुकी उग्रवादियों के लिए प्रशिक्षण सुविधाएं भी शामिल हैं। इसके साथ ही रविवार को पश्चिमी इंफाल जिले के फायेंग से भी भीषण गोलीबारी की खबरें मिली थी। इस दौरान कुकी उग्रवादियों ने एक कारखाने में आग लगा दी थी।
पुलिस ने बताया कि एक अन्य घटनाक्रम में अज्ञात लोगों ने रविवार को इंफाल पश्चिम जिले के लांगोल में कुछ घरों में आग लगा दी। बता दें कि मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 98 लोगों की जान चली गई थी और 310 अन्य घायल हो गए थे। इसके अलावा कुल 37,450 लोगों ने वर्तमान में 272 राहत शिविरों में शरण ली है।
उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।
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