नेशन अलर्ट/9770656789
राजनांदगाँव.
ग्राम बरगा स्थित जय राम फूड प्रोडक्ट (बिस्कुट फैक्ट्री) और इसके सँचालक माखीजा परिवार के खिलाफ शायद ही अब कोई जाँच हो. ऐसा हो भी क्यूं न ? दरअसल, अपने भाई की कथित हत्या / आत्महत्या की निष्पक्ष जाँच के लिए भागदौड़ करने वाली गरीब महिला की फरियाद ने घुटने टेक दिए हैं. वह भी महज 1.40 लाख रूपए में . . !
ज्ञात हो कि यह मामला प्रदेश अथवा जिले के छोटे – बडे़ अखबारों की सुर्खियाँ भी नहीं बन पाया और शाँत हो गया. ऐसा कैसे हुआ ? क्या माखीजा परिवार की राजनीतिक दखल ने इसमें उसकी मदद की ?
क्या लायंस क्लब, बढ़ते कदम जैसी समाजसेवी सँस्थाओं से जुडे़ माखीजा परिवार ने अपनी आर्थिक हैसियत का इस्तेमाल किया ? क्या मध्यप्रदेश की रहने वाली गरीब महिला दबाव में आ गई ?
यह चँद ऐसे सवाल हैं जोकि जवाब माँग रहे हैं. फैक्ट्री से जुडे़ कुछेक कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि राजनीतिक दबाव के आगे पुलिस ने भी सक्रियता नहीं दिखाई थी. ऊपर से उसका मुँह ही बँद कर दिया गया था.
कौन था गणेश, कैसे हुई मौत.. ?
मृतक का नाम गणेश बताया गया था. वह बरगा स्थित जयराम फूड प्रोडक्ट बिस्कुट फैक्ट्री का मजदूर था. उसकी मौत फैक्ट्री कैंपस में सँदिग्ध परिस्थितियों के बीच हुई थी.
यह मामला दिनाँक 5 मई का बताया जाता है. गणेश (30) पिता कोदूराम साकेत तकरीबन चार वर्षों से उक्त फैक्ट्री में कार्य करता था.
मृतक गणेश की एक बहन पडोसी प्रांत मध्यप्रदेश की रहने वाली है. उसका नाम श्रीमती सुनीता जाटव है. महिला ने गणेश को अविवाहित बताते हुए उसकी कथित आत्महत्या को कथित हत्या बताया था.
पूर्व में व्यथित बहन का आरोप था कि फैक्ट्री मालिक के इशारे पर पुलिस भी गलतबयानी कर रही है. सुनीता कहती थी कि गणेश की मौत दरअसल, उसकी हत्या थी.
इसकी सुनीता ने बीते 24 सितंबर को पडोसी प्रांत मध्यप्रदेश से किसी तरह नांदगाँव आकर शिकायत भी की थी. शिकायत पुलिस अधीक्षक को की गई थी.
इसकी प्रतिलिपि महिला ने विधानसभा अध्यक्ष (स्थानीय विधायक) डाक्टर रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डाक्टर चरणदास महंत, राजनांदगाँव सांसद संतोष पाँडेय, पुलिस महानिरीक्षक, कलेक्टर सहित सतनामी समाज अध्यक्ष को भी दी थी. विधानसभा अध्यक्ष, साँसद सहित आईजी व एसपी आफिस ने बकायदा शिकायत लेकर सील मुहर लगाई थी.
24 सितंबर की शिकायत पर अब जाकर अक्तूबर में जाँच प्रारंभ हुई थी. शिकायतकर्ता महिला को बयान दर्ज करवाने पुलिस ने बुलवाया था. बीते दिनों वह आई और उसने बयान भी दर्ज करवाया था.
25 अक्तूबर को क्या कुछ हुआ था.. ?
लेकिन बयान दर्ज करवाते ही ऐसा क्या कुछ हुआ कि मामला ही पलट गया. 25 अक्तूबर को शिकायतकर्ता महिला सुनीता को लेकर फैक्ट्री मालिक का कर्मचारी बताया जाने वाला व्यक्ति बैंक आफ बडौदा पहुँचा था.
बैंक आफ बडौदा में जय राम फूड प्रोडक्ट्स के कैश क्रेडिट खाते से सवा लाख रूपए निकाले गए थे. तारीख थी 25, जिसके नाम से चैक काटा गया उसका नाम था सुनीता जाटव.
सवा लाख रूपए के साथ कर्मचारी, सुनीता जाटव को लेकर जिला न्यायालय पहुँचा था. वहाँ उसने फोन पर किसी से बातचीत की थी. सुनीता जाटव की भी बातचीत कराई गई थी.
इसके बाद जो कुछ हुआ वह आने वाले दिनों में पता चलेगा लेकिन इतना तय है कि मामले में कोई न कोई खिचड़ी पकी है. 25 अक्तूबर की शाम अचानक महिला अपने घर मप्र के लिए रवाना भी हो गई थी.
“नेशन अलर्ट” ने पूर्व में शिकायत के बाद इस मामले में राजा माखीजा से बातचीत की थी. राजा माखीजा का कहना था कि वह महिला को अपनी तरफ से पूरा सहयोग कर रहे हैं. पुलिस वाले उसे रपट आदि उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं. हो सकता है इस कारण महिला शिकायत कर रही है.
बहरहाल, मामले में वस्तुस्थिति की जानकारी लेने का प्रयास “नेशन अलर्ट” द्वारा किया गया था. श्रीमती सुनीता जाटव के मोबाइल पर रविवार दोपहर 3.01 मिनट पर घँटी दी गई थी.
मोबाइल किसी बच्ची ने उठाया था. उसने सुनीता जाटव के सँबँध में पूछे जाने पर उन्हें खेत पर बताया था. बच्ची कह रह थी कि माँ मोबाइल घर पर छोड़ गईं हैं.शाम को 5 बजे वापस आएंगी.
इसके बाद अशोक माखीजा से सँपर्क साधने की कोशिश की गई. उनके मोबाइल 92240* पर दोपहर में 3.02 बजे घँटी की गई. लेकिन चूंकि उन्होंने मोबाइल नहीं उठाया इस कारण उनसे बात नहीं हो पाई.
अंत में “नेशन अलर्ट” ने नगर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) राजनांदगाँव के शासकीय मोबाइल पर दोपहर के 3.13 बजे घँटी दी थी. सीएसपी ने भी सँभवतः किसी कार्य में व्यस्तता के चलते मोबाइल नहीं उठाया इस कारण शासकीय पक्ष पता नहीं चल पाया.