रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया पर गहरा असर डाला है। युद्ध शुरू होने के बाद कई देशों ने रूस पर प्रतिबंधों की भरमार लगा दी। यूक्रेन पर रूसी हमले से नाराज होकर यूरोप ने रूस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। खासकर यूरोपीय संघ ने रूसी तेल को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था, इनमें रिफाइंड तेल और कच्चा तेल दोनों शामिल थे।
इन सबके बीच अगर देखा जाए तो यूरोप ने अप्रत्यक्ष रूप से रूस को युद्ध के दौरान फायदा पहुंचाया है, क्योंकि यूरोप, रूस से प्रत्यक्ष रूप से रिफाइंड तेल नहीं खरीदकर अन्य देशों से खरीद रहा है, और इनमें भारत सबसे शीर्ष पर है। अभी हाल ही में रिपोर्ट सामने आई है कि भारत, यूरोपीय संघ के देशों में रिफाइंड तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन चुका है।
वहीं, भारत ने भी कच्चा तेल खरीदने में रूस को अपना सबसे बड़ा साझेदार बना लिया है। रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के समय भारत जहां रूस से एक प्रतिशत कच्चा तेल खरीदता था। वहीं, अब ये आंकड़ा बढ़कर 33 फीसदी के करीब पहुंच चुका है। इसका मतलब ये है कि भारत सस्ते दाम पर रूस से तेल खरीदता है और अपने देश में उसे रिफाइंड करके बाहरी देशों में बेचता है।
इस प्रकार से भारत से रिफाइंड तेल खरीदकर यूरोप न चाहते हुए भी रूस को फायदा पहुंचा रहा है, क्योंकि यूरोप सबसे अधिक रिफाइंड तेल भारत से खरीदता है, जिस वजह से भारत अधिक मात्रा में कच्चे तेल का आयात रूस से कर रहा है, क्योंकि रूस अन्य देशों के मुकाबले सस्ते दामों पर कच्चा तेल बेच रहा है।
बता दें कि प्रतिबंध लगाने से पहले यूरोप करीब 30 प्रतिशत तेल रूस से खरीदता था, लेकिन प्रतिबंध की वजह से रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया। हालांकि, रूसी तेल खरीदना बंद नहीं हुआ। भारत में रिफाइंड पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का जितना निर्यात होता है उसका 22 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ यूरोपीय संघ को बेचा जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत से यूरोप का रिफाइंड ईंधन आयात प्रतिदिन 3,60,000 बैरल पार होने वाला है।
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