लखनऊ। अगर आप लखनऊ से नैमिषारण्य तीर्थ स्थल के लिए भगवा रंग की एसी इलेक्ट्रिक बस से सफर करने जा रहे हैं और यह सोच रहे हैं कि आपको पसीना नहीं आएगा तो यह गलतफहमी आप अपने दिमाग से निकाल दीजिए। नैमिषारण्य जाने वाली भगवा बस को देखकर आप धोखा खा सकते हैं। आप जिस भगवा बस से सफर करेंगे वह एसी इलेक्ट्रिक बस नहीं, भगवा रंग की साधारण सीएनजी बस होगी। इन बसों के कलर को देखकर आप जरूर बस के अंदर दाखिल हो जाएंगे, लेकिन बाद में जरूर पछताएंगे, क्योंकि यह बसें कलेजे को ठंडक नहीं देंगी, बल्कि गर्मी में आपके शरीर को पसीने से तरबतर कर देंगी।
अलीगंज निवासी अनुज अवस्थी को माता-पिता के साथ नैमिषारण्य जाना था वह चौक पहुंचे, जहां से इसके लिए इलेक्ट्रिक बसें चलती हैं। यह बस में सवार हुए तो गर्मी का अहसास हुआ। दूसरे यात्री भी पसीने से तरबतर हो रहे थे। यात्रियों ने एसी ऑन करने के लिए कहा तो बताया गया कि यह सीएनजी बस है। इसे ई-बस के रंग में रंगवाया गया है। यह सिर्फ इलेक्ट्रिक बस जैसी दिखती है। असल में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन तो चार्जिंग प्वॉइंट न होने से ठप्प पड़ा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले माह 25 अगस्त को कुल 42 एसी इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को हरी झंडी दिखाई थी। नैमिषारण्य तीर्थ स्थल के लिए दो एसी इलेक्ट्रिक बसों के ऑपरेशन को मंजूरी दी गई। भगवा रंग में रंगी यह बसें खासकर पर्यटकों को ध्यान में रखकर संचालित की गई थीं। साधारण बस के किराए में पर्यटक इन एसी इलेक्ट्रिक बसों से आरामदायक सफर करने लगे थे, लेकिन कुछ ही दिन ये बसें चल पाईं। चार्जिंग के अभाव में बीच रास्ते ही इन इलेक्ट्रिक बसों का दम फूलने लगा। लखनऊ से सीतापुर के बीच चार्जिंग प्वाइंट न होने की वजह से यह बसें चार्ज ही नहीं हो पा रहीं। लिहाजा, लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड ने दोनों इलेक्ट्रिक बसों को इस रूट से हटा लिया और यहां पर दो सीएनजी बसें यात्रियों की सुविधा के लिए चला दीं। यह दोनों लखनऊ शहर के अंदर चलने वाली सीएनजी बसें हैं जिन्हें अधिकारियों ने इलेक्ट्रिक बसों के भगवा रंग की तरह रंगकर नैमिष के लिए दौड़ा दिया। जहां तक किराए की बात की जाए तो एसी इलेक्ट्रिक बस का किराया भी ₹121 ही था और इन साधारण बसों का किराया भी ₹121 ही है, लेकिन अंतर ये है कि उन बसों में यात्रियों को सफर में पसीना नहीं आता था, इन बसों से सफर में पसीना बहाना पड़ रहा है।
लखनऊ से नैमिष की दूरी लगभग 95 किलोमीटर है। दोनों तरफ से कुल मिलाकर 190 किलोमीटर बस का संचालन होता है। इलेक्ट्रिक बस की कंपनी पीएमआई ने दावा किया था कि एक बार की चार्जिंग में यह बस 200 किलोमीटर दौड़ेगी, लेकिन यह सच साबित नहीं हुआ। बस सिर्फ 130 से 140 किलोमीटर ही चल पा रही है। ऐसे में एक बार दुबग्गा डिपो के चार्जिंग प्वाइंट से चार्ज होने के बाद बस जब नैमिष से वापस लखनऊ की तरफ रवाना होती थी तो बीच रास्ते ही धोखा दे देती थी। लिहाजा, चार्जिंग प्वाइंट के अभाव में इन बसों का संचालन फिलहाल ठप हो गया है। नैमिष रूट पर जितने दिन इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया गया तो विकल्प के तौर पर एक ट्रक में चार्जिंग प्वाइंट और बैटरी रखकर बीच रास्ते में खड़े किए गए। वहीं पर बस को चार्ज कर आगे बढ़ाया गया, लेकिन अब ट्रक वापस हो गए हैं तो बसों का संचालन भी बंद हो गया है.
परिवहन विभाग की मोटरवाहन नियमावली के मुताबिक, किसी भी वाहन का जो ओरिजनल कलर होता है उसे बदला नहीं जा सकता है, क्योंकि परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन के दौरान रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर संबंधित वाहन का जो कलर होता है वह दर्ज होता है। यानी कलर में कोई बदलाव किया जाता है तो इसे नियम विरुद्ध माना जाता है, लेकिन नियमों को दरकिनार कर सिटी ट्रांसपोर्ट के अधिकारियों ने सफेद और बैंगनी कलर की दो सीएनजी बसों को इलेक्ट्रिक बसों के भगवा रंग में रंग दिया। तकनीकी जानकार बताते हैं कि किसी भी वाहन के कलर को बदला नहीं जा सकता है. ये नियम के खिलाफ है।
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