रायपुर। झारखंड सरकार ने उत्पाद विभाग के राजस्व को बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) को परामर्शी बनाया था। मगर चालू वित्त वर्ष में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग राजस्व वसूली का अपना लक्ष्य नहीं पा सका।
जिसके बाद विभागीय मंत्री जगरनाथ महतो ने सीएसएमसीएल को परामर्शी से हटाने का आदेश जारी कर दिया है। इस संबंध में उन्होंने विभागीय सचिव को मुख्य सचिव या सदस्य राजस्व पर्षद की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर नई उत्पाद नीति की समीक्षा कराने का भी आदेश जारी किया है।
बता दें कि झारखंड सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 2500 करोड़ रुपए का राजस्व लक्षय रखा था। बाद में जिसे 2300 करोड़ कर दिया। मगर होली के ठीक पहले विभाग को 1750 करोड़ ही राजस्व मिल सका। वित्तीय वर्ष में 21 दिन ही शेष हैं। 550 करोड़ रुपए का राजस्व का लक्ष्य पूरा कर पाना विभाग के लिए मुश्किल लग रहा है।
वहीं विभाग ने मंत्री को पत्र लिख कहा था कि नई नीति लागू होने के बाद भी राजस्व नहीं बढ़ सका है। ऐसे में छत्तीसगढ़ को परामर्शी से मुक्त किया जा सकता है। इस खत को ही आधार बनाकर मंत्री ने आदेश जारी कर दिया।
इसी बीच झारखंड शराब व्यापारी संघ ने मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि अगले वित्त वर्ष में शराब की बिक्री उनके हाथों में दे दें। वे 3500 करोड़ का राजस्व देने को तैयार हैं।
इतना ही नहीं राज्य में काफी समय से शराब में पानी मिलाकर बेचे जाने की शिकायतें भी मिल रही थी। इस मामले में झारखंड सरकार ने एक केस भी दर्ज कराया है। साथ ही राज्य में एमआरपी से अधिक कीमत वसूलने की भी शिकायत मिल रही थी।
राज्य में शराब में पानी मिलाकर बेचने की लगातार शिकायतें मिल रही हैं। हाल में उत्पाद विभाग के एक दारोगा के भाई को इसमें संलिप्त पाने पर दारोगा को निलंबित कर दिया गया। केस भी दर्ज कराया गया है। वहीं राज्यभर में एमआरपी से अधिक कीमत वसूलने की शिकायत भी मिल रही है। बता दें कि झारखंड में अभी सरकार खुद ही शराब बेच रही है। इसके लिए छत्तीसगढ़ मॉडल को लागू किया गया।
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