रायपुर 01 मार्च।छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने कहा कि किसान, खेती, ग्रामीण विकास और इससे जुड़े विभिन्न क्षेत्रों का समन्वित और सर्वांगीण विकास उनकी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता रही है। इस दिशा में प्रचलित परिपाटियों में सुधार के साथ अनेक नए उपायों के कारण राज्य के किसान व ग्रामीण परिवार तेजी से समृद्ध और खुशहाल हुए हैं।
श्री हरिचंदन ने आज विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन विपक्षी सदस्यों की टोकाटोकी के बीच अपने अभिभाषण में कहा कि उनकी सरकार ने ‘सुराजी गांव योजना के माध्यम से ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी’ के संरक्षण, बहुआयामी विकास और उसके माध्यम से आजीविका के अवसरों को बढ़ाया है। ‘नरवा’ के उपचार से भूमिगत जलस्तर में वृद्धि हो रही है, वहीं गौठानों को गौमाता की सेवा के साथ ही जैविक खाद बनाने व अन्य आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनाया गया है।
उन्होने कहा कि ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत गोबर खरीदी की मात्रा 100 लाख क्विंटल तथा गोबर खरीदी की राशि 200 करोड़ रुपए को पार कर चुकी है। 28 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट प्लस का उत्पादन किया गया है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। गौठान समिति के माध्यम से गौ-मूत्र का क्रय भी किया जा रहा है और इससे जैविक कीट नियंत्रक एवं जीवामृत जैसे उपयोगी उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। गोधन और गौ-मूत्र के कार्य से पशु पालकों, गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूहों को होने वाली आय 400 करोड़ रुपए को पार कर चुकी है।
श्री हरिचंदन ने कहा कि गौठानों को ‘ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित करने की नई पहल से गांव-गांव में बड़े पैमाने पर अनेक वस्तुओं के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण हेतु 75 गौठानों का चयन कर 84 लोगों को प्रशिक्षण हेतु राजस्थान भेजा गया है। 13 जिलों में 23 पेंट निर्माण इकाई लगाने की कार्यवाही शुरू की गई हैं, जिसमें 3 जिलों रायपुर, दुर्ग एवं कांकेर में उत्पादन भी शुरू किया जा चुका है।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार ने प्रदेश की प्रमुख फसल धान को भरपूर सम्मान दिया है। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की सटीक व्यवस्था और मिलिंग की सही नीति से राष्ट्रीय स्तर के कीर्तिमान बने हैं। वर्ष 2017-18 में 12 लाख 6 हजार किसानों ने 19 लाख 36 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 56 लाख 89 हजार मीट्रिक टन धान बेचा था, वहीं मेरी सरकार के विशेष प्रयासों के कारण इस वर्ष 23 लाख 50 हजार किसानों ने 30 लाख 14 हजार हेक्टेयर रकबे में उपजाया 1 करोड़ 7 लाख 53 हजार मीट्रिक टन धान समर्थन मूल्य पर बेचा है। इस तरह छत्तीसगढ देश में सर्वाधिक किसानों से धान खरीदने वाला प्रथम, धान की सर्वाधिक कीमत देने वाला अव्वल और सेंट्रल पूल में चावल देने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है। धान के साथ ही अन्य फसलों के उत्पादन में भी छत्तीसगढ़ तेजी से आगे बढ़ रहा है।
राज्य में पारंपरिक रूप से उगाई जाने वाली कोदो, कुटकी, रागी लघु धान्य फसलों के लिए समर्थन मूल्य घोषित कर इनका उपार्जन किए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि वर्ष 2022-23 से ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ कार्यक्रम लागू किया गया है। मिलेट्स के उत्पादन, विपणन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए गए कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। राज्य में चाय और कॉफी की खेती को बढ़ावा देने ‘छत्तीसगढ़ टी कॉफी बोर्ड का गठन किया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि खाद्यान्न व उद्यानिकी फसलों की लागत में राहत देने हेतु कृषकों को आदान सहायता राशि प्रदान करने वाली राजीव गांधी किसान न्याय योजना मेरी सरकार ने खरीफ वर्ष 2019 से प्रारंभ की। इसके तहत अभी तक 16 हजार 415 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।इसके साथ ही. बिना ब्याज के कृषि ऋण प्रदाय योजना के तहत वर्ष 2022-23के लक्ष्य 6610 करोड़ रुपए के विरुद्ध 6141 करोड़ रुपए का कृषि ऋण दिया जा चुका है, जो अब तक का सबसे बड़ा कीर्तिमान है।
तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक को 2500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा करने से 13 लाख संग्राहकों को प्रतिवर्ष लगभग 250 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि प्रोत्साहन राशि के रूप में गत तीन वर्षों में 340 करोड़ रुपए दिए गए हैं।लघु वनोपज से आजीविका मजबूत करने की दिशा में बड़ी सोच से काम लिया गया, जिससे 7 से बढ़ाकर 65 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई है।
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