रायपुर| संवाददाताः भूपेश बघेल के कार्यकाल में दर्ज़ एफआईआर में सेवानिवृत्त आईपीएस मुकेश गुप्ता और वर्तमान बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है.
सीजेएम कोर्ट में एंटी करप्शन ब्यूरो ने यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट पेश की है कि दोनों के खिलाफ जो आरोप लगाए गए, वह अपराध हुआ ही नहीं है.
दोनों अधिकारियों के खिलाफ खारिजी पेश किया गया है.
कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में तत्कालीन आईपीएस मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह के खिलाफ अवैध कॉल रिकार्ड का मामला दर्ज किया गया था.
इन प्रकरणों में दोनों अधिकारियों के खिलाफ गंभीर धाराएं लगाई गई थीं.
जांच एजेंसी एसीबीइओडब्लू ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करते हुए कोर्ट में कहा है कि बगैर अनुमति अवैध कॉल रिकार्ड का आरोप ही फ़र्ज़ी है.
जो कॉल रिकार्ड हुआ, वह नियमतः और विधिक अधिकारिता से किया गया है. उस समय जो बयान दर्ज कराया गया था, वह काफी दबाव और डर दिखाकर कराया गया.
अदालत में कहा गया है कि जिन धाराओं में अपराध दर्ज किया गया, उन धाराओं में अपराध दर्ज करने का आधिकार ही नहीं था.
एसीबी ने नान और आलोक अग्रवाल मामले में कोर्ट को यह भी बताया कि एसआईटी ने न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए एफआईअर दर्ज की थी, जबकि दोनों मामले में कोर्ट में चालान पेश हो चुका था.
इसके बाद भी एसआईटी का गठन किया गया.
एसीबी/ईओडब्लू ने क्लोजर रिपोर्ट के साथ दो पत्र सौंपते हुए दोनों एफआईआर खारिज करने की बात कही है.
भूपेश बघेल सरकार के समय आईपीएस मुकेश गुप्ता तत्कालीन इंटिलिजेंस चीफ तथा एसीबी/ईओडब्लू के चीफ़ थे.
इसी प्रकार आईपीएस रजनेश सिंह एसीबी के एसपी और एटीएस के नोडल अधिकारी थे.
दोनों अधिकारियों पर नियम विरुद्ध तरीके से कॉल रिकार्ड करने का आरोप था.
जिसका उपयोग भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी आलोक अग्रवाल प्रकरण तथा कथित नागरिक आपूर्ति निगम घोटालोे में किया गया.
भूपेश बघेल सरकार ने इस प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था.
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