नई दिल्ली । डेस्क: केंद्र सरकार ने भारी विवाद के बाद लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती को रद्द करने का फ़ैसला किया है. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी अध्यक्ष को पत्र लिख कर लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने का अनुरोध किया गया है.
ग़ौरतलब है कि यूपीएससी ने हाल में वरिष्ठ अफ़सरों के 45 पदों पर नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया था. ये पद संयुक्त और उप सचिव स्तर के हैं. इसका यह कहते हुए विरोध किया जा रहा था कि इस तरह की नियुक्तियों में आरक्षण का प्रावधान न होने से पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों का हक़ मारा जाएगा.
अब इस भर्ती को रद्द करने के लिए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने पत्र में लिखा कि पीएम का मानना है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के आदर्शों पर आधारित होनी चाहिए, खासकर आरक्षण के प्रावधानों को लेकर. प्रधानमंत्री का मानना है कि सरकारी नौकरी में आरक्षण हमारे सामाजिक न्याय ढांचे की आधारशिला है, जिसका उद्देश्य समावेशिता को बढ़ावा देना है.
केंद्र सरकार के इस फ़ैसले के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,’’ संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे. भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे. मैं एक बार फिर कह रहा हूं – 50 फीसदी आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे.’’
इधर कांग्रेस पार्टी ने X पर लिखा-“संविधान की जीत हुई. मोदी सरकार लेटरल एंट्री में बिना आरक्षण के भर्ती की साज़िश कर रही थी, लेकिन अब इस फैसले को वापस लेना पड़ा है. एक बार फिर मोदी सरकार को संविधान के आगे झुकना पड़ा है.”
कांग्रेस ने लिखा-“ आरक्षण विरोधी इस फैसले का कांग्रेस अध्यक्ष और नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और INDIA गठबंधन ने खुलकर विरोध किया. इसकी वजह से मोदी सरकार को ये फैसला वापस लेना पड़ा है. ये बाबा साहेब के संविधान की जीत है. ये हर दलित, शोषित, पिछड़ों की जीत है.”
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