सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वित्तीय लेन-देन में सत्यनिष्ठा नियम होना चाहिए अपवाद नहीं। साथ ही कहा कि पारदर्शिता के उद्देश्य को विफल करने वाले वैधानिक आदेश को प्रभावी होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जस्टिस एसके कौल, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने ये टिप्पणियां उस फैसले में की जिसमें उसने महाराष्ट्र की धुले जिला परिषद के एक सदस्य वीरेंद्र सिंह की अपील को खारिज कर दिया।
वीरेंद्र सिंह ने नासिक के डिविजनल कमिश्नर के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने अपने पुत्र को ठेका देने के लिए वीरेंद्र सिंह को अयोग्य ठहरा दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘यह निस्संदेह सत्य है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को कमजोर आधारों पर अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए। लेकिन, हम वैधानिक आदेश से समान रूप से बंधे हैं, जिसके तहत पारदर्शिता के उद्देश्य को विफल करने वाली गतिविधियों को प्रभावी होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’
वीरेंद्र सिंह को नासिक के डिविजनल कमिश्नर के आठ नवंबर, 2021 के आदेश पर अयोग्य ठहराया गया था। वीरेंद्र ¨सह से जिला परिषद का चुनाव हारने वाले उसके प्रतिद्वंद्वी ने इस बाबत शिकायत की थी।
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