रायपुर। श्री श्री शारदीय दुर्गाेत्सव त्रिलोकी मां कालीबाड़ी समिति राजेंद्र नगर में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी दुर्गाेत्सव का भव्य आयोजन किया गया है। इस अवसर बच्चों की प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों का भी आयोजन किया जा रहा है। इन गतिविधियों में बच्चों के साथ बड़े भी उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं।
श्री श्री शारदीय दुर्गाेत्सव त्रिलोकी मां कालीबाड़ी समिति राजेंद्र नगर के सचिव विवेक बर्धन ने बताया कि बंगाली समुदाय के लिए नवरात्र का विशेष महत्व होता है। समिति द्वारा नवरात्रि की षष्ठी तिथि से विजयदशमी तक पांच दिवसीय दुर्गाेत्सव का भव्य का आयोजन किया जाता है। महिषासुर का वध करती मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ ही लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है।
पारंपरिक पूजा अर्चना के साथ ही देवी मां को प्रसन्न करने के लिए धुनुची नृत्य का भी आयोजन किया जाता है। समिति द्वारा पिछले 41 वर्षों से दुर्गाेत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह 42वां वर्ष है। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी बच्चों की प्रतिभाओं को मंच देने के उद्देश्य से विभिन्न रचनात्मक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें शंखनाद, सामान्य ज्ञान, कुर्सी दौड़, नृत्य व संगीत प्रतियोगिता में बच्चों के साथ बड़ों ने भी अपनी प्रतिभा दिखाई। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान के विजाताओं के साथ ही सभी प्रतिभागियों को भी पुरस्कृत किया गया।
सिंदुर खेला 5 को
प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी धुनुची नृत्य के साथ ही सिंदुर उत्सव का भी आयोजन किया गया है। इसे सिंदुर खेला (देवी सिंदुर वरन) के नाम से जाना जाता है। राजेंद्र नगर में 5 अक्टूबर को शाम चार बजे से सिंदुर खेला का आयोजन किया जाएगा।
बर्धन ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार मां दुर्गा जब मायके से विदा होकर ससुराल जाती है तो उनकी मांग सिंदुर से सजाई जाती है। इसके बाद सुहागिन स्त्रियां एक-दूसरे को सिंदुर लगाकर शुभकामनाएं देती हैं। मान्यता है कि सुहागिनों को सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है।