सूरजपुर ।जिले के सहायक शिक्षको के एक समूह से सौजन्य मुलाकात में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति को लेकर एक सामान्य सी चर्चा महिला मोर्चा की प्रदेश कार्य समिति सदस्य और बलरामपुर जिला महिला मोर्चा प्रभारी शांति अजय सिंह से हुई। इस आम सी चर्चा में शिक्षक नेताओं ने महिला नेत्री से भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने का मुद्दा उठाया। इस चर्चा का जवाब देते हुए शांति सिंह ने कहा कि शिक्षाकर्मी प्रथा की शुरुआत अविभाजित मध्य प्रदेश में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह की सरकार ने की थी। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने शिक्षा कर्मी की प्रथा को समाप्त करते हुए 2018 में करीब सवा लाख शिक्षकों का संविलियन कर उनका शासकीयकरण करते हुए बाकी के शिक्षकों के संविलियन और नियमिति कारण का रास्ता बनाया। अब सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति का जो मुद्दा है उसे भारतीय जनता पार्टी ने अपनी घोषणा पत्र में उसे शामिल किया है उसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही पूरा करेगी। सहायक शिक्षक मोदी की गारंटी पर भरोसा रखें। जैसा कि हम शुरू से कहते आ रहे है कि इस राज्य को हम ने ही बनाया है हम ही संवारेंगे।
शांति अजय सिंह ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार को खजाना खाली मिला है। भूपेश बघेल की सरकार ने खजाना खाली कर प्रदेश को कर्ज से लाद दिया है। बीते दिनों वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने जो बजट पेश किया है। उसे राष्ट्र निर्माता शिक्षक अच्छी तरह समझ सकते हैं। आय और व्यय का हिसाब भी किसी से छुपा नहीं है। लेकिन यह भी नहीं छुपा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो इस मध्यावधि लक्ष्य को प्राप्त करने के आधारभूत रणनीतिक स्तंभ (Fundamental Strategical Pillars) के 10 स्तंभ रखे है। इसके मायने भी एकदम सरल है…। आने वाले पांच साल में राज्य की खुद की आय में वृद्धि होने वाली है। एक लाख से अधिक की संख्या में शिक्षको का संविलियन करने वाली सरकार शिक्षकों के लिए समर्पित है। मेरा मानना है कि समृद्ध राज्य के शिक्षक अगर समृद्ध होंगे तो शिक्षा व्यवस्था में भी समृद्धि होगी। भारतीय जनता पार्टी की शुरू से नीति रही है कि उच्च गुणवत्ता की शिक्षा होनी चाहिए भारतीय जनता पार्टी इसके लिए प्रतिबद्ध है।