रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंत्रिमंडल(Cabinet Meeting) पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा है कि साय की मंत्रिमंडल की बैठक से प्रदेश की जनता मोदी की गारंटी को लागू होने की उम्मीद कर रही थी। प्रदेश में अभी धान खरीदी चल रहा है और किसान धान की कीमत 3100 रू प्रति क्विंटल एक मुश्त पंचायत भवन में मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
किसान 2 लाख रू तक कर्ज माफ होने, न्याय योजना की चौथी किस्त की राशि जारी होने, महतारी वंदन योजना की 60 लाख फॉर्म भर चुकी महिलाएं 1000 रू महीना एवं प्रदेश के 73 लाख से अधिक परिवार 500 रू में रसोई गैस के सिलेंडर मिलने का इंतजार कर रहे थे लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगी।
भाजपा की सरकार ने आदतन प्रदेश की जनता के साथ एक बार फिर वादाखिलाफी की है।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा की सरकार बनने के बाद आदिवासियों के भावनाओं के विपरीत हसदेव में जंगलों की कटाई हो रही है जिसका पूरे प्रदेश में विरोध हो रहा है।
प्रदेश की जनता ने उम्मीद किया था पहली कैबिनेट की बैठक (Cabinet Meeting)में भाजपा की सरकार हसदेव में जंगल की कटाई रोकने पर कड़े फैसला लेगी। इस दिशा में कोई निर्णय नहीं करना भाजपा और अडानी के बीच के जंगल कटाई के अनुबंध को उजागर करता है
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि जांच के नाम पर छत्तीसगढ़ में सीबीआई की एंट्री साय सरकार की लाचारी को प्रमाणित करता है। गृह राज्य सूची का विषय है लेकिन मोदी-शाह के रिमोट कंट्रोल से संचालित छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार को राज्य की एजेंसी, राज्य के अधिकारी और राज्य के विभागों पर भरोसा नहीं है।
भाजपा के षडयंत्रों के चलते केंद्रीय एजेंसियों का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद खराब हो चुका है। केंद्रीय एजेंसियां ना खुद जांच करती है और ना ही राज्य की एजेंसियों को जांच करने देती है। झीरम और भीमा मंडावी का प्रकरण इस बात का प्रमाण है।
छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी सरकार केवल राजनीतिक स्टंट के लिए, असल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सीबीआई जांच की बात कर रही है। राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम 2013 के तहत जारी राशन कार्ड पर 5 किलो अनाज की योजना का क्रेडिट एक बार मोदी सरकार ले चुकी है राज्य कैबिनेट की बैठक में लागू करने का दावा करने वाले भाजपाई बताएं कि मोदी जी झूठ बोल रहे हैं या साय सरकार?