बिलासपुर—एक दिन पहले यानी सोमवार को मंथन सभागार में प्रभारी मंत्री उप मुख्यमंत्री अरूण साव ने जिला प्रशासन की पहली बैठक ली। बैठक में कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव और मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया नजर नहीं आये। इस बात को लेकर जमकर चर्चा रही। सीजी वाल से बातचीत में कोटा और मस्तूरी विधायक ने कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारी इस समय स्वामीभक्त की भूमिका में है। कलेक्टर ने हमें बुलाया नहीं..तो अपमानित होने के लिए समीक्षा बैठक में क्यों जाएं। ऐसा कर सरकार और कलेक्टर ने कोटा और मस्तूरी की जनता का अपमान किया है। इसे हम स्वामी भक्ती और तानाशाही समझते हैं।
एक दिन पहले जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक हुई। बैठक में जिले के सभी विधायक और अधिकारियों ने शिरकत किया। लेकिन कोटा और मस्तूरी विधायक को बुलाया ही नहीं। समीक्षा बैठक में उप मुख्यमंत्री अरूण साव ने सभी अधिकारियों के साथ चर्चा कर काम काज को लेकर जरूरी दिशा निर्देश दिया।
जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने बताया कि विधायकों को बुलाने की जिम्मेदारी कलेक्टर या उन्के निर्देश पर कोई अधिकारी न्योता देता है। शायद कोटा और मस्तुरी विधायक को भूल गए हों। मामले में कोटा विधायक अटल श्रीरवास्तव और मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया ने बताया कि ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ। कांग्रेस सरकार और इसके पहले की सरकारों में समीक्षा बैठक में सभी जनप्रतितियों को बुलाया जाता रहा है। चाहे टीएस सिंहदेव प्रभारी मंत्री रहे हों या ताम्रध्वज साहू और जयसिंह अग्रवाल ने समीक्षा बैठक विपक्ष के नेताओं को आदर के साथ अमंत्रित किया है।
कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने कहा कि समीक्षा बैठक महत्वपूर्म बैठकों में एक होती है। इसमे क्षेत्रीय स्तर पर काम काज और विकास को लेकर चर्चा होती है। कोटा विधानसभा का विधायक होने के कारण कलेक्टर की जिम्मेदारी बनती है कि बुलाएं…लेकिन उन्होने नही बुलाय। शायद इसकी मुख्य वजह स्वामीभक्ती हो। इसे हम तानाशाही भी कहते हैं। लगता है कि जिला प्रशासन ने आकाओं को खुश करने के लिए ही कोटा और मस्तूरी विधायकों को नहीं बुलाना उचित समझा ।
मस्तुरी विधायक दिलीप लहरिया ने कहा कि जब बुलाया ही नहीं गया… तो हम अपमानित होने के लिए बैठक में क्यों जाएं। जिला प्रशासन ने हमारा नहीं बल्कि कोटा और मस्तूरी की जनता का अपमान किया है। इससे जाहिर होता है कि आने वाले समय में विकास कार्यों को लेकर कोटा और मस्तूरी के साथ सौतेला व्यवहार किया जाना निश्चित है। लहरिया ने बताया कि ना तो हमें लिखित बुलावा आया और ना ही फोन पर किसी ने बुलाना उचित नहीं समझा । जबकि अन्य जिलों में विपक्षी विधायकों को समीक्षा बैठक में बुलाया गया है। लेकिन बिलासपुर में कांग्रेस विधायकों को बैठक में नहीं बुलाकर जिला प्रशासन और उसके मुखिया ने अपमान किया है।