रायपुर| संवाददाताः बिलासपुर के छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान यानी सिम्स को लेकर मीडिया में आई कुछ खबरों पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने कहा है कि किसी भी तरह की खबर प्रकाशित करने के पहले पत्रकारों को पूरी तरह पुष्टि कर लेनी चाहिए. अदालत ने कहा कि अपुष्ट खबरों से किसी भी संस्था की छवि पर बुरा असर होता है. इससे लोगों का विश्वास सिम्स जैसे चिकित्सा संस्थानों पर कम होता है.
हाईकोर्ट ने इसे मीडिया का गैर जिम्मेदाराना रवैया माना है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि शासन-प्रशासन के सक्रिय प्रयासों से सिम्स की स्थिति सुधरी है.
गौरतलब है कि बीते दिनों समाचार-पत्रों में सिम्स से जुड़ी दो खबरें प्रकाशित की गई थीं.
पहली खबर 14 सितंबर 2024 को प्रकाशित हुई थी, जिसमें सीने में दर्द के बाद डॉक्टरों द्वारा इलाज नहीं किए जाने और लाइन में खड़े रहने के दौरान हार्ट अटैक से व्यक्ति की मौत हो जाने की जानकारी दी गई थी.
दूसरी खबर 20 सितंबर 2024 को प्रकाशित हुई थी, जिसमें सिम्स के डॉक्टरों की लापरवाही के कारण एक बच्चे को गैंगरीन होने की बात कही गई है.
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान इन खबरों की कतरन दिखाई गई.
इस पर शासन की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ताओं ने बताया कि जिस व्यक्ति की मौत समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से हो जाना बताया जा रहा है, उसे जांच के लिए लाया गया था.
इस दौरान 15 मिनट के भीतर उनका इलाज शुरू हो गया था. इलाज के दौरान सिम्स के डॉक्टरों द्वारा सीपीआर देने समेत अन्य चिकित्सकीय उपाय अपनाए गए थे.
डॉक्टरों की लापरवाही से गैंगरीन होने के दूसरे मामले में शासन की ओर से अधिवक्ताओं ने बताया गया कि जून 2023 में बच्चे का जन्म सिम्स में हुआ था.
वकीलों ने बताया कि नवजात की स्थिति सामान्य न होने पर उसे ड्रीप लगानी पड़ी थी. 5 जून 2023 को नवजात की स्थिति सामान्य होने पर उन्हें डिस्चार्ज किया गया. तब रिपोर्ट में नवजात की चिकित्सकीय स्थिति पूरी तरह सामान्य थी.
परिजन 7 जून 2023 को नवजात को लेकर फिर सिम्स पहुंचे थे लेकिन उन्होंने न पर्ची कटाई न वहां डॉक्टरों को दिखाया. थोड़ी देर बाद वे निजी सोनोग्राफी सेंटर लेकर चले गए. वहां के रिपोर्ट में भी गैंगरीन के लक्षण का कोई उल्लेख नहीं है.
वकीलों ने बताया कि इसके बाद परिजन किसी निजी अस्पताल में नवजात का उपचार कराते रहे. फिर 30 जून 2023 को परिजन ने सिम्स के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सिटी कोतवाली में एफआईआर कराई और फरवरी 2024 में बिलासपुर कलेक्टर से शिकायत करते हुए मुआवजा की मांग की. इस पर जिला कलेक्टर की ओर से जांच समिति भी बनाई गई.
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